अंतिम उपनिषद
अंतिम उपनिषद एक प्रयास है | व्यवस्था से उपजे व्यंग्य का महान चरित्रों के माध्यम से आप तक पहुचने का |
मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014
चतुर्थ प्रसंग - मोगली का परिचय पत्र ( भाग एक )
ऐसे ही दयनीय हालत में एक रोज बैठा था | की बाहर शोर सुनाई दिया | मैं हडबडा कर बाहर आया | देखा एक श्याम वर्ण 18 या 20 साल का लड़का सिर्फ एक लंगोट में मेरी तरफ आ रहा है |सड़क के दोनों किनारे दर्शक दीर्घा बने हुए थे | मुझे देख वो मुस्कुराया , मैं घबराया | अंदर दुबक क्र बैठ गया | मन में तरह तरह के विचार आ रहे थे | कोई मित्र तो नही जो जुए में सब कुछ हार कर उधार लेने आ हो या पुराना उधर वसूलने आया हो | मैं किसी नतीजे पर पहुचता उससे पहले वो मेरे दरवाजे पर पहुच गया |
उसने पूछा - आप किशोर है |
- वय से तो नही नाम से जरुर हूँ |
- मुझे आपकी सहायता चाहिए |
- देखिये बड़ी तंगी चल रही है | किताब छप नहीं रही | दोस्त उधर नहीं लौटाते | गाँव में खेती है नहीं, मुट्ठी भर की तनख्वाह ( मैं रोने लग गया | वो असहज हो गया )
-मुझे आप से पैसे नहीं चाहिए |
- तो ?
- मैं आपसे कुछ और सहायता चाहता हूँ | करेंगे ?
- आपने पैसे न मांग कर मुझ पर जो अहसान किया है | उसके बदले मई कुछ भी कर सकता हूँ | ( मुझे लगा ये नंगा क्या मांगेगा दो जोड़ी कपड़े हिन् न )
- मैं मोगली हूँ |
जैसे ही उसने ये कहा | मुझे सारे रहस्य समझ आ गये | बचपन का हीरो | बल्लू और बघीरा | गुलजार अंकल का लिखा गीत - जंगल जंगल बात चली है |
शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014
तृतीय प्रसंग - न्याय का सिहांसन ( भाग दो)
सदन में गहमागहमी मच गयी। खुसर पुसर की ध्वनि , शोर में बदल गयी।
" मै इस प्रस्ताव पर सदन की राय जानना चाहूँगा।" महराज ने ऊँचे स्वर में कहा।
- क्षमा करे महराज। परन्तु वह सिहांसन हम नही ला सकते। हम सब जानते है की विक्रमादित्य देवी के उपासक थे। अतः सिहांसन की स्थापना साम्प्रदायिक है। राज्य में दंगे भड़क सकते है।
- और महराज सुनवाई का प्रोसीजर होगा क्या। जमानत वाली व्यवस्था के बगैर हम किसी न्याय पर कैसे भरोसा कर सकते है।
इस तरह से एक एक कर के सबने लोकतान्त्रिक रूप से सिहांसन को नकार दिया।
यह देख वृद्ध मंत्री क्रोधित हो गया। उसने राजा को आन्दोलन करने की धमकी दी। राजा कुछ कहने वाला था तभी सेक्रेटरी ने कहा की राजन सोच लो सिहांसन आया तो सब अंदर हो जायेंगे। सो राजा चुप हो गयी। वृद्ध मंत्री चले गये। राजा मुस्कुराये । सभी मंत्री मुस्कुराये।
अगले दिन खबर आई की की वृद्ध मंत्री का हृदयघात से निधन हो गया। उसी टीले पर उनका अंतिम संस्कार किया । स्मारक बना। नाम रखा गया - न्याय घाट। सब निश्चिन्त हो गये। सिहांसन भी सुरक्षित और हम भी।
गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014
तृतीय प्रसंग - न्याय का सिहांसन ( भाग एक )
एक दिन की बात है | राजा भोज दरबार लगा के बैठे थे | चूँकि राजसभा थी इसलिए सभी मर्यादित व्यवहार कर रहे थे | दूसरी कोई सभा होती तो बात अलग थी |
तभी कुछ सैनिक एक लड़के को पकड़ लाये |
ये कौन है - राजा ने गरज कर पूछा |
महराज ये लड़का चरवाहा है | पंचायत की जमीं पर गाय चराता है |वहां के एक टीले पर बैठ न्याय करता है | लोगो को कहता है मैं न्याय करूंगा | सजा सुनाता है | सीधे शब्दों में कानून अपने हाथ में लेता है | गाँव वालो की शिकायत पर पकड़ कर ले आये | बहुत कहा इसे की 100 50 देकर छुट जा | पर नहीं माना हुजुर | अब बिना रिश्वत लिए किसीको छोड़ना भी तो बेईमानी होगी न हुजुर |
- ठीक है इसे ले जाओ | और देखो की मरे मत और ये भी चेक कर लो की दलित या माइनॉरिटी तो नहीं |
सैनिक तो चले गये पर राजा चिंतित हो गया | मंत्रियो ने कारण पूछा तो बोले - हमे लगता है की टीले के नीचे विक्रमादित्य का न्याय का सिंहासन है |
न्याय का सिहासन शब्द सुन कर पल हर का सन्नाटा छा गया |
फिर सबसे बुजुर्ग मंत्री खड़े होकर बोले - सभासदों , मुझे अच्छे से याद है | आज से 60 साल पहले जब राज्य की स्थापना हुई | तब हम सबने न्याय के सिद्धांत पर संविधान की रचना की |
और जब समाज को पूर्ण न्याय देने की बात आई तो हमने इस सिहांसन की बहुत खोज करायी | पर हमे कुछ भी हासिल नहीं हुआ |फिर हमने न्याय की निति बनाई | जिसमे सिविल , डिस्ट्रिक्ट , सेसन , हाई , सुप्रीम और फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की | परन्तु आज न्याय मिलने में बहुत देरी है | अतः हमे वो सिहांसन प्राप्त करना चाहिए जिससे हमारी जनता को सही समय पर न्याय प्राप्त हो सके |
मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014
द्वितीय प्रसंग नचिकेता ( भाग तीन )
- वो क्या है। जिससे लोग बिना ज्ञान के डिग्री प्राप्त करते है। बिना नेतृत्व के नेता बनते है। बिना अधिकार के अधिकारी। हे मृत्यु के देवता मुझे वो रहस्य बताइए जिसे ज्ञानी लोग प्रश्न भी समझते है उत्तर भी।
तब यमराज ने कहा- सुनो वाजश्रवा के पुत्र नचिकेता, उस रहस्य का नाम है जुगाड़। इसी जुगाड़ से वकील केस मजबूत बनाता है। इसी से डॉक्टर पैसे कमाता है। इसी से इंजिनियर हजार की तनख्वाह में लखपति बनता है। इसी से अफसर अपने खर्चे चलाता है। इसीकी मदद से नेता कंधो पर या कभी कभी लाशो पर पाव रख कुर्सी पाता है। इसी से लडकिया फोन पर मुफ्त में बात करती है।
आजकल नचिकेता वही उससे बड़ा गुरुकुल चलाता है।
सोमवार, 20 अक्तूबर 2014
द्वितीय प्रसंग नचिकेता ( भाग दो )
- तुम कौन हो
मैं वाजश्रवा का पुत्र नचिकेता हूँ | मेरे पिता ने मुझे आपको सौपा है | आप तिन दिनों से घर नहीं आये |
- हाँ मार्च में क्लोजिंग है | टारगेट पूरा करना पड़ता है | तुमने इतना इंतजार किया तो तीन दिनों के एवज में तीन वरदान मांग लो |
- क्या मैं बंगला मांग सकता हूँ
- जमीन का भाव देखा है | कुछ और मांगो |
- गाड़ी ?
- नहीं
तो क्या मांगू
- तुम प्रश्न करो | मै सब कुछ जनता हूँ |
- अच्छा | ये बताइए की राजनीती का आधार क्या है |
- ये क्या पूछ लिया | तुम चाहो तो मै तुम्हे मोक्ष के बारे में बता सकता हूँ | ( यम राज ने घबराकर कहा )
पर नचिकेता अडिग रहा
- यूँ तो राजनीती का आधार देश प्रेम होना चाहिए | परन्तु देशप्रेम के अलावा भी सिद्धांत चाहिए , सिधांत से पार्टी , पार्टी के लिए पार्टी फण्ड , पार्टी फण्ड के लिए चंदा और चंदा के लिए अप्रोच और अप्रोच बनती है चटुकारिता से , अतः चाटुकारिता ही राजनीती का आधार है |
अब दूसरा प्रश्न पूछो यंग मैन |
क्रमशः ..................
शनिवार, 18 अक्तूबर 2014
द्वितीय प्रसंग नचिकेता ( भाग एक )
मेधावी छात्रो में 12 15 अफसर सैकड़ो डॉक्टर और हजारो इंजिनियर ने जिन्दगी के गुर सीखे थे |
आज वाजश्रवा के यहाँ यज्ञ है | ब्रम्हा को पाने के लिए ब्रम्हण यज्ञ | वो दूर दूर से आये ब्राम्हणों को एक एक करके सब कुछ दान कर रहे थे | ये देख नचिकेता खिन्न हुआ |
उसने पिता को टोका
- क्या आप सब कुछ दे देंगे ?
- हाँ |
- और मेरे लिए
-तुम्हारा ज्ञान तुम्हारी शिक्षा ही तुम्हारा धन है |
- पर कुछ तो रखो | इतना की रिश्वत न सही नौकरी की परीक्षा फीस भर सकूँ |
- तुममे मेधा है , कला है . नौकरी क्यों |
- करने के लिए तो मैं साम गन कर सकता हूँ पर ..| आपको कुछ छोड़ना चाहिए |
- मैं अपना सब कुछ दान कर दूंगा
- मुझे भी ?
- हाँ
- किसे ?
- जा मैं तुझे मृत्यु को देता हूँ
और नचिकेता निकल गया | अपना बैग लैपटॉप और चार्जर लेकर | हाईवे तक पैदल आया | फिर लिफ्ट ले ली |
दो दिन बाद वो यम के घर पंहुचा |
क्रमशः ................................