सोमवार, 20 अक्तूबर 2014

द्वितीय प्रसंग नचिकेता ( भाग दो )

दो दिन बाद नचिकेता यम के घर पंहुचा | पर यम घर पर नहीं थे |वो तिन दिन उनके लॉन में इंतजार करता रहा | फ्री वाई फाई उसका सहारा बन गया | जब यम लौटे तो उन्होंने गरज कर पूछा

- तुम कौन हो

मैं वाजश्रवा का पुत्र नचिकेता हूँ | मेरे पिता ने मुझे आपको सौपा है | आप तिन दिनों से घर नहीं आये |

- हाँ मार्च में क्लोजिंग है | टारगेट पूरा करना पड़ता है | तुमने इतना इंतजार किया तो तीन दिनों के एवज में तीन वरदान मांग लो |

- क्या मैं बंगला मांग सकता हूँ

- जमीन का भाव देखा है | कुछ और मांगो |

- गाड़ी ?

- नहीं

तो क्या मांगू

- तुम प्रश्न करो | मै सब कुछ जनता हूँ |

- अच्छा | ये बताइए की राजनीती का आधार क्या है |

- ये क्या पूछ लिया | तुम चाहो तो मै तुम्हे मोक्ष के बारे में बता सकता हूँ | ( यम राज ने घबराकर कहा )

पर नचिकेता अडिग रहा
- यूँ तो राजनीती का आधार देश प्रेम होना चाहिए | परन्तु देशप्रेम के अलावा भी सिद्धांत चाहिए , सिधांत से पार्टी , पार्टी के लिए पार्टी फण्ड , पार्टी फण्ड के लिए चंदा और चंदा के लिए अप्रोच  और अप्रोच बनती है चटुकारिता से , अतः चाटुकारिता ही राजनीती का आधार है |
  अब दूसरा प्रश्न पूछो यंग मैन |
क्रमशः ..................

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