मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

द्वितीय प्रसंग नचिकेता ( भाग तीन )

-क्या राजनीती के लिए चाटुकारिता पर्याप्त है। नचिकेता ने पूछा।
-नहीं, चाटुकारिता तो आधार है। पर उसके बाद आपको ईमानदारी रखनी पड़ती है । उन स्त्रोतों के प्रति जिनसे आपकी पार्टी को फंड मिलता है। चाहे वो विदेशी कम्पनी हो। भू माफिया या अंडरवर्ल्ड।
- जैसे।
-जैसे अगर आप राष्ट्र वादी पार्टी से है तो आप राष्ट्री य एकता के लिए कुछ करे या नहीं आपको कहना होगा की आप वोटबैंक की राजनीती नही करते।
नचिकेता के पास अब एक ही प्रश्न शेष था। काफी देर सोच कर उसने कहा।
- वो क्या है। जिससे लोग बिना ज्ञान के डिग्री प्राप्त करते है। बिना नेतृत्व के नेता बनते है। बिना अधिकार के अधिकारी। हे मृत्यु के देवता मुझे वो रहस्य बताइए जिसे ज्ञानी लोग प्रश्न भी समझते है उत्तर भी।
- नचिकेता यह न पूछो , जो चाहिय्र ले लो। पर ये न पूछो।
- मुझे कुछ नहीं चाहिए।
(यमराज ने अनेक लालच दिए। पर नचिकेता नहीं माना।)
तब यमराज ने कहा- सुनो वाजश्रवा के पुत्र नचिकेता, उस रहस्य का नाम है जुगाड़। इसी जुगाड़ से वकील केस मजबूत बनाता है। इसी से डॉक्टर पैसे कमाता है।  इसी से इंजिनियर हजार की तनख्वाह में लखपति बनता है। इसी से अफसर अपने खर्चे चलाता है। इसीकी मदद से नेता कंधो पर या कभी कभी लाशो पर पाव रख कुर्सी पाता है। इसी से लडकिया फोन पर मुफ्त में बात करती है।
यम ने बहुत विस्तार से जुगाड़ के गुणधर्म नचिकेता को समझाये।
आजकल नचिकेता वही उससे बड़ा गुरुकुल चलाता है।

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