मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

चतुर्थ प्रसंग - मोगली का परिचय पत्र ( भाग एक )

मैं तीन कहनियाँ लिखने के बाद परेशान था | जैसे तैसे तीन कहानियां और उसके पात्र तो चुरा लिया | पर अब न पात्र मिल रहे और न ही कहानी | ऊपर से इस सीरीज पर किताब लिखने का संकल्प \ ना कथानक मिलता है , ना पात्र ना विषय | बड़ी दयनीय हालत होती है लेखक की |
   ऐसे ही दयनीय हालत में एक रोज बैठा था | की बाहर शोर सुनाई दिया | मैं हडबडा कर बाहर आया | देखा एक श्याम वर्ण 18 या 20 साल का लड़का सिर्फ एक लंगोट में मेरी तरफ आ रहा है |सड़क के दोनों किनारे दर्शक दीर्घा बने हुए थे | मुझे देख वो मुस्कुराया , मैं घबराया | अंदर दुबक क्र बैठ गया | मन में तरह तरह के विचार आ रहे थे | कोई मित्र तो नही जो जुए में सब कुछ हार कर उधार लेने आ हो या  पुराना उधर वसूलने आया हो | मैं किसी नतीजे पर पहुचता उससे पहले वो मेरे दरवाजे पर पहुच गया |
उसने पूछा - आप किशोर है |
- वय से तो नही नाम से जरुर हूँ |

- मुझे आपकी सहायता चाहिए |

- देखिये बड़ी तंगी चल रही है | किताब छप नहीं रही | दोस्त उधर नहीं लौटाते | गाँव  में खेती है नहीं, मुट्ठी भर की तनख्वाह ( मैं रोने लग गया | वो असहज हो गया )

-मुझे आप से पैसे नहीं चाहिए |

- तो ?

- मैं आपसे कुछ और सहायता चाहता हूँ | करेंगे ?

- आपने पैसे न मांग कर मुझ पर जो अहसान किया है | उसके  बदले मई कुछ भी कर सकता हूँ | ( मुझे लगा ये नंगा क्या मांगेगा दो जोड़ी कपड़े हिन् न )

- मैं मोगली हूँ |

  जैसे ही उसने ये कहा | मुझे सारे रहस्य समझ आ गये | बचपन का हीरो | बल्लू और बघीरा | गुलजार अंकल का लिखा गीत - जंगल जंगल बात चली है |

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