शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

प्रथम प्रसंग - रत्नाकर और नारद

जायदा वर्ष पहले की बात नहीं है | अभी अभी की बात है |नारद मुनि एक जंगल से गुजर रहे थे |  कहाँ का जंगल था पता नहीं , टाइगर रेसेअर्वे था शायद या नक्सल इलाका था | कुछ कन्फर्म नहीं है | पर गुजर रहे थे | हाँ इतना पता है की पैदल जा रहे थे | सच में ज्ञानियों की कद्र ही नहीं है , सारे पख्नादी कार में जाते है | नारद मुनि पैदल | सच का कलयुग है |
   इतने में सामने एक हत्ता कट्टा आदमी आ गया , कुछ हथियार लिए हुए , कौन सा हथियर यह कन्फर्म नहीं,
- रुको कौन हो तुम

- मैं नारद हूँ | विष्णु भक्त नारद , चार वेद अष्टाध्याय षट्दर्शन और निति का ज्ञाता | मैं वही हूँ जिसे बी आर चोपड़ा और रामानंद सागर ने एक चरित्र अभिनेता  से ज्यादा कुछ नहीं समझा | वैसे आप कौन है | और इस तरह मेरा रास्ता रोक कर क्यूँ खड़े हैं |

- मैं व्याध रत्नाकर | इस जंगल इस रस्ते का एक मात्र डाकू | फारेस्ट लेबर होम हर मिनिस्ट्री को लुट का हिस्सा देता हूँ |पुलिस का महिना अलग से | तू मेरा शिकार है | जो भी माल है निकाल |

-मेरे पास ये वीणा हैं , कुछ पुस्तके भी है | धन नहीं | धन तो नश्वर हैं |क्या करोगे तुम धन का |

- क्या करूँगा ?  बच्चे की फीस , बेटी का दहेज़ | मोबाइल पेट्रोल माकन किराया टैक्स सब देने तो पड़ेंगे न ? धंधे क टाइम खराब मत कर |

- पर क्या तुम्हारा परिवार उस अपयश का भागीदार होगा , जो तुम कमा रहे हो |

- जरुर ( व्याध ने आत्मविश्वास से कहा ) मेरे बेटे गर पढ़ न पाए तो मेरे अपयश के सहारे राजनीती में नाम करेंगे | मेरी पत्नी मेरे मरने के बाद मेरे अपयश के सहारे ही चुनाव लड़ सकेगी | मेरी बेटी मेरे अपयश के सहारे ही ६ साल से पास होते आ रही है | मेरे अपयश के सहारे ही मेरे पिता खेल संघ के संरक्षक है |
उसने जारी रखा |
- अपयश बोझ नहीं है |पाप बुरा नहीं है | आप बताओ आपका ज्ञान किस काम का , कितनी किताबे लिखी , दुनिया सुधरी नहीं सुधारी | और सुधरने वालीभी नहीं | तुम यहाँ पैदल घूम रहे और वहां कोई तुम्हारी स्मृति की रॉयल्टी खा रहा |लोगो के पास टॉपिक नहीं तुम्हारा चुराकर छाप रहे |

-तो मुझे क्या करना चाहिए ( नारद ने याचक स्वर में कहा )

- ले फरसा धन लुट , मेरा न सही तेरा बीटा प्रधानमन्त्री बन जायेगा |

             नारद अपयश की महिमा से अभिभूत था | मुझे नहीं पता की उसने फरसा उठाया की या वाल्मीकि नारद बना की नहीं | पर ये नारद की उपलब्ध आखिरी कहानी है |

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